सोमवार, 30 सितंबर 2013

उम्मीद पर दुनिया कायम है

- विनय कुमार शुक्ल

दोस्तों अक्सर आपलोगों ने सुना होगा की उम्मीद पर दुनिया कायम रहती है  सच भी है बिल्कुल, पर क्या है ये उम्मीद? कहाँ से आती है ये उम्मीद ? उम्मीद वो होती है जो वर्तमान में किये गए कर्म की शक्ति है। भविष्य के किसी उद्देश्य की प्राप्ति के लिए वर्तमान में किये जा रहे कर्म की शक्ति या उससे प्राप्त उर्जा को उम्मीद कहते हैं। जब हम अपने उद्देश्य की प्राप्ति के लिए कठिन परिश्रम करते हैं तो हमारे अंदर एक सकारात्मक उर्जा का संचार होता है और वो हमारे विश्वास को बढाता है। लक्ष्य को प्राप्त कर लेने के प्रति हमारी सकारात्मक सोच को उम्मीद कहते हैं पर ये उम्मीद विश्वास से थोडा भिन्न होती है आप लोग अब पूँछ सकते हैं की ये कैसे भिन्न है विश्वास से ? जैसा की मैंने कहा की ये उम्मीद हमारे कर्मो से प्राप्त सकारात्मक उर्जा है , परन्तु विश्वास के कई प्रकार होते हैं -
. सच्चा विश्वास . अति विश्वास . अल्प विश्वास
. सच्चा विश्वास वो होता हैं जो इंसान के कर्मो और छमताओ के अनुरूप हो। यदि मनुष्य अपनी योग्यता तथा  शक्ति से भली भाँती परचित हैं और वो अपनी कमियों से भी अवगत है तभी उसके अंदर सच्चा विश्वास सकता है अन्यथा नहीं।
. अति विश्वास वो होता है जब इंसान अपनी छमताओ और कर्मो से बढ़ चढ़ कर सोचने लगता है। ऐसे इंसान करते कुछ ख़ास नहीं परन्तु उनकी सोच और विश्वास इतना अधिक होता है की जैसे उनके अनुसार पृथ्वी तो उन्ही के भरोसे चलती है।
. अल्प विश्वास हमेशा निराशावादी लोगों में आता है , कई बार मनुष्य कर्म तो करता है परन्तु उसकी सोच निराशावादी होती है, वो हमेशा ये सोचता है की ये काम वो नहीं कर सकता , वो काम उसके हाथ में नहीं। कई बार लोग भाग्य पर दोषारोपण कर देते हैं , परन्तु ऐसा अल्प विश्वास इंसान को कमजोरी के सिवा कुछ नहीं देता
वस्तुतः मनुष्य में अपार शक्ति होती है, वो बड़े से बड़ा काम कर सकता है। परन्तु इसके लिए उसे खुद का ज्ञान होना बहुत आवश्यक है। आधुनिक इंसान अपना अधिकांश समय इन्टरनेट पर बिताता है , वो कभी फेसबुक पर दोस्ती तो कभी स्काइप पर प्यार करता है। ऐसे में वो अपनी अपार शक्तियों को भूलता जा रहा है , ऐसे में कौन सी "उम्मीद पर दुनिया कायम है ? " आधुनिक इन्टरनेट क्रांति के अनेको लाभ है परन्तु मनुष्य को उसके दुस्परिनामो से भी परचित होना आवश्यक है। इंसान के आगे बढ़ने में दोस्तों का महत्व पूर्ण  स्थान है। इसलिए अच्छे दोस्त होना भी जरुरी है , परन्तु वो इन्टरनेट की काल्पनिक दुनिया में ना ही हो तो अच्छा इसलिए मनुष्य को चाहिए की वो उम्मीद के सच्चे स्वरुप को समझकर उसके अनुरूप कार्य करे
यदि इंसान को अपने लक्ष्य की प्राप्ति करना है तो उसे अपने अन्दर सकारात्मक उर्जा लानी चाहिए और ये उर्जा हमारे नित्य कर्मो पर आधारित है , आप सभी लोग निम्नलिखित पंग्तियो से भली भाँती परचित है -
                   कर्मणयेवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
                   मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि।

इसलिए दोस्तों पहचानो खुद को , काम करो कुछ ऐसे की दुनिया कायल हो जाये तुम्हारी और लोग ढूंढे तुम्हे गूगल सर्च से , फिर हम सभी कह सकते हैं की उम्मीद पर दुनिया कायम रहती है धन्यवाद्


( लेखक भौतिक विज्ञान विभाग में शोध छात्र हैं )