(चित्र http://iyadav.com से साभार )
हे योगेश्वर! आ जाओ, अब भक्त पुकारें तुम्हारें,
कलयुग है, प्रासंगिक हैं सारे सन्देश तुम्हारें|
मालूम है तुम इसमें, उसमें, मुझमें, सबमें,
फिर भी आओ, दरश दिखाओ,
अब भी भूखे सोते कई सुदामा,
बहुत राधिका व्याकुल,
ओ आओ किशन कन्हैया,
बंशी धुन सुनने को ये सारी दुनिया आकुल|
हे योगेश्वर! आ जाओ......
बहुत पुकारें द्रौपदी अब भी,
शहर-शहर अब गली-गली निर्लज्ज दुशासन|
ओ जाओ अर्जुन के संगी, पांचाली के भैया
अब सहा नहीं जा सकता हमसे,
दुर्योधन का अन्यायी कुशासन|
हे योगेश्वर! आ जाओ......
अब भी अर्जुन वापिस बाण डालता तरकस में,
सारे भीष्म, द्रोण का चेतन कुण्ठित,
द्वारिका पुनः मांगती राजा तुमसा,
दुनिया को गीता का फिरसे गीता का ज्ञान सुना जाओ,
अर्जुन को पुनः जगा जाओ, भारत को पुनः सजा जाओ|
हे योगेश्वर! आ जाओ......
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